toshi

apne vajood ki talash me.........
Related Posts with Thumbnails

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

आत्मसम्मान

 



*प्रतिज्ञा*


*आत्मसम्मान*


आज सुबह शालू थोड़ा जल्दी उठ गई। गैस पर चाय  चढ़ा बिस्तर तह करके करीने से रखने लगी, इधर चाय बन गई । शालू चाय की प्याली लेकर खिड़की के पास आ गई, आज उसका मन थोड़ा बेचैन था,क्योंकि आज उसकी बेटी सुमन का मेडिकल प्रवेश परीक्षा का परिणाम आने वाला था। ऐसे में खिड़की से आती हल्की बारिश और मंद हवा तन मन प्रफुल्लित कर रही थी। 


चाय की चुस्कियों और सुहाने का मौसम का मज़ा लेते शालू अपनी यादों में बीस वर्ष पूर्व चली गई। वैसे तो सुहास शालू के प्रति अपना हर फ़र्ज़ निभाता लेकिन कही न कहीं उसे लगता कि सुहास उससे प्यार नहीं करता।तीन वर्ष की बेटी सुमन भी अपने पापा के प्यार को, उनके साथ को तरस जाती। शालू से कम से कम बातें करना, सुबह जल्दी ऑफिस चले जाना और रात को घर देर आना सुहास की आदत बनती जा रही थी। शालू ने बहुत कोशिश की कि सुहास का प्यार पा सके,उसके मन में अपने और सुमन के लिए जगह बना सके लेकिन सुहास अब और भी उखड़ा उखड़ा रहता।


उस दिन सुहास सुबह जल्दी ऑफ़िस चला गया सुमन को तेज बुख़ार था शालू ने सुहास को फ़ोन लगाया लेकिन उसने कहा वो खुद ही सुमन को डॉक्टर के पास लेकर चली जाए। शालू अकेले ही सुमन को डॉक्टर के पास लेकर गई। डॉक्टर ने दवाइयां लिख दी। पैसे देने के लिए पर्स खोला तो देखा जल्दी जल्दी में वो तो पैसे और मोबाइल रखना ही भूल गई, परिचित डॉक्टर ने अपनी फीस बाद में देने बोल दिया। लेकिन दवाइयों के लिए तो पैसे चाहिए थे। 


पास ही सुहास का ऑफिस था, शालू सुहास के ऑफिस चली गई , और जैसे ही शालू ने सुहास के केबिन में प्रवेश किया तो देखा सुहास और सुहास की कलीग प्रिया एक दूसरे की बाहों में हैं। शालु को इस तरह सामने देख सुहास बुरी तरह सकपका गया और शालू बिना एक पल भी देर किए सुमन को लेकर तेज़ कदमों से बाहर चली गई, उसकी आँखों से अनवरत आँसू बह रहे थे, उसे सुहास की बेरुखी का कारण साफ नज़र आ रहा था। शालू ने अपने कदम और भी तेज कर दिए, इस *प्रतिज्ञा* के साथ कि अब वो सुहास के पास कभी नहीं लौटेगी , अपने आत्मसम्मान की रक्षा उसे खुद ही करनी होगी और अब उसने स्वयं ही सुमन को उसकी जिंदगी में सफल बनाने का *प्रण* लिया और अनजानी राहों में अपनी बेटी का हाथ थामे चल पड़ी । 


माँ .... माँ .... सुमन की आवाज़ सुन सहसा शालू वर्तमान में लौट आई, सुमन  माँ के गले में बाहें डाल खुशी से बोली, माँ मेरा मेडिकल में सलेक्शन हो गया। शालू की आँखों से खुशी के आँसू बह रहे थे। उसने बेटी की नज़र उतारी उसे मीठा खिला ही रही थी कि सुमन ने उसके हाथों से मीठा लेकर उसे खिला दिया और बोली माँ आपकी तपस्या सफल हुई। और दोनों एक दूसरे के गले लग गए। दोनों की आंखों से खुशी के आँसू बह रहे थे।


✍️तोषी गुप्ता✍️

02 फ़रवरी 2021


0 टिप्पणियाँ:

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP