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बुधवार, 24 नवंबर 2021

स्थानांतरण

 स्थानांतरण



निशांत फाइलों में उलझा हुआ था कि एक आवाज़ ने उसका ध्यान आकर्षित किया, "निशांत, कब तक इन फाइलों के बीच मुझसे छुपते रहोगे?" 


निशांत ने सर उठाया तो सामने काजल थी। "अरे काजल तुम, यहाँ कैसे?" 



"सारी बातें यहीं करोगे क्या? चलो चाय पीते हुए बातें करेंगे" काजल ने कहा,



और दोनों रेस्तरां की तरफ चल पड़े। आज बारह साल बाद निशांत और काजल की मुलाकात हुई थी। चाय पीते हुए वो एक दूसरे का हाल जानने लगे। बातों ही बातों में काजल ने उसे बताया कि अब वह इसी शहर में रहेगी और बड़ी मुश्किल से उसने निशांत के ऑफिस का पता लगाया और आज मिलने चली आई। काजल शुरू से बहुत महत्वाकांक्षी थी, इसी वजह से उसने शादी से ज्यादा महत्व अपने सपनों को पूरा करने में दिया। निशांत की शादी को बारह साल हो चुके थे उसका एक बेटा और एक बेटी थी। लेकिन निशांत ने महसूस किया कि निशांत की पारिवारिक जीवन जानने में काजल को कुछ खास दिलचस्पी नहीं थी। निशांत थोड़ा असहज भी था और काजल पहले की ही तरह बिल्कुल बिंदास। काजल ने बताया कि उसका तबादला इसी शहर में हुआ है। ये सुनकर निशांत पहले से भी ज्यादा असहज हो गया। चाय की चुस्कियां चल ही रही थी कि बारिश शुरू हो गई और निशांत अतीत में खो गया। रोज़ शाम को किसी रेस्तरां में चाय के बहाने वो घंटों एक दूसरे से बातें करते और जब कभी बारिश होती दोनों निशांत की बाइक में घूमने निकल जाते। रोज शाम साथ बिताना उनकी दिनचर्या में शामिल था। निशांत की दो छोटी बहनें थी। निशांत के घर वाले पहले निशांत की शादी करना चाहते थे ताकि भाभी के निर्देशन में दोनों छोटी बहनों की शादी अच्छे से हो सके। निशांत ने जब भी काजल से शादी की बात की उसने बात टाल दी कि उसे अभी अपने सपने पूरे करने हैं और वो किसी जिम्मेदारी में नहीं बंधना चाहती। और निशांत को अपनी जिम्मेदारी निभाने पूजा से शादी करनी पड़ी। इधर काजल आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चली गई। सुशील सुगढ़ पूजा ने आते ही निशांत का पूरा घर संभाल लिया और जल्दी ही निशांत के दिल मे जगह बना ली। निशांत भी अब धीरे धीरे काजल को बिल्कुल भूल चुका था और अपनी छोटी सी दुनिया में खुश था। बारिश थम चुकी थी। चाय खत्म करके निशांत ने बोला चलो तुम्हें छोड़ देता हूँ। निशांत अपनी कार में काजल को छोड़ने गया। काजल का घर आ चुका था। अचानक काजल  ने निशांत का हाथ थाम लिया, और पूछा, "सच सच बताओ, क्या तुम्हें मेरी ज़रा सी भी याद नहीं आती?" निशांत अब और भी असहज हो गया, लेकिन मुस्कुराते हुए कहा, "काजल देर हो रही है, अब तुम्हें जाना चाहिए" काजल आंखों में आँसू लिए कार से उतरकर जाने लगी। बिना एक पल भी गँवाए निशांत तेजी से ऑफिस पहुंचा और तुरंत अपने स्थानांतरण की अर्जी दे दी। अब निशांत सहज भाव से अपनी टेबल में रखे अपनी फैमिली फोटो को देखकर मुस्कुरा रहा था।





✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻


23-11-2021

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मंगलवार, 23 नवंबर 2021

यादें,,

 यादें


यादों से ,


गहरा नाता है दिल का,


उन यादों में खो,


जी जाती हूँ,


एक बार फिर,


उन बीते लम्हों को,


जानती हूँ,


वो बीते लम्हे,


आज भी,


उतना ही दर्द देते हैं,


जितना कि,


तब देते थे,


जब उन्हें,


जी रही थी,


मानती हूँ,


भूल जाना ही अच्छा,


ऐसे दर्द देने वाली


यादों को,


पर क्या करूँ,


उन बीते लम्हों में


सुख-दुख का,


ऐसा ताना-बाना है कि,


हर तार उलझा हुआ है,


दूसरे कई तारों से,


याद कर खुशी का एक लम्हा,


मुस्कुरा देती हूँ फिर से,


दूसरे ही पल,


जुड़ जाता है ,


उस खुशी से जुड़ा,


दुःख का तार,


और मुस्कुराते हुए चेहरे पर,


सिकुड़ से जाते हैं होंठ,


अगले ही पल,


जुड़ जाता है दूसरा तार,


फिर से,


एक दूसरी खुशी से,


एक बार फिर उन लम्हों को जी,


खिल उठता है ये चेहरा,


और दिल को,


 एक सुकून मिलता है,


कि यादों के झरोखों से,


से खुशी और ग़म,


दोनों ही अपनी झलक दिखाएंगे,


बस कोशिश हमें करनी है,


कि भूल जाएं वो पल,


जो हमें तकलीफ़ देते हैं,


और जी लें एक बार फिर,


उन खुशी के लम्हों को,


जिन्हें दिल, 


बार-बार जीने की चाहत रखता है,


जो हमारे दिल को सुकून देता है,






✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻


22/11/21


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