चंदन
*चंदन*
बहुत तक़लीफ़देह होता है,
वजूद का चंदन हो जाना,
ज़हरीले साँपों का आस्तीन में छिप जाना,
इर्द गिर्द लिपटे सैकड़ों साँपों के बीच,
उनकी कड़ी होती गिरफ़्त से
अपनी खुशबू बिखेर पहचान आ पाना,
लोगों के मस्तक पर स्थान पाने,
अपने वज़ूद को धीरे- धीरे खत्म करना,
वहीं मानव तन से मुक्ति पर,
उनकी चिता बन स्वयं ख़ाक हो जाना,
लेकिन चंदन बन तब वज़ूद महक-महक जाता है,
जब यह प्रभु के मस्तक और चरणों में जगह पाता है!!
✍️तोषी गुप्ता✍️
01 फरवरी 2021
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