प्रेरणा
*प्रेरणा*
बड़े शहर की उच्च शिक्षा प्राप्त एकल परिवार की नेहा की शादी एक कस्बे में उच्च पढ़े लिखे सुलझे हुए लड़के से हुई। कस्बाई माहौल की उसे आदत नहीं थी तिस पर ढेरों बंधनों में उसे संयुक्त परिवार में रहना पड़ता। हालाँकि पति का पूरा साथ नेहा को मिलता। पति के सहयोग से ही उसने अपना शोध कार्य भी प्रारंभ कर दिया लेकिन परिवार का सहयोग ना मिलने के कारण नेहा अकेली पड़ जाती। फिर परिवार की जिम्मेदारियों और नए बच्चे के आगमन से उसका शोधकार्य भी अधूरा रह गया। खुद के लिए समय न निकल पाने के कारण अब नेहा अवसाद में रहने लगी। एक दिन उसके मायके में उसकी दूर की चाची से उसकी मुलाकात हुई। उसकी चाची भी महानगर से उसके मायके शादी होकर आई थी। उसका मायके शहर ज़रूर था लेकिन महानगर नहीं था। उच्च शिक्षित चाची ने उसे बताया कि कैसे शुरू में महानगर से इस शहर आने के बाद उन्होंने स्थितियां सँभाली और फाइन आर्ट्स में पी एच डी करके अब स्कूल में कला शिक्षिका की नौकरी भी कर रही हैं और अपनी कला के जरिये अपने शौक भी पूरे कर रही है। बस इस मुलाकात के बाद ही नेहा की ज़िन्दगी बदल गई। प्रेरणा के रूप में उसकी चाची जो उसे मिल गई थी। उसने मन ही मन ठाना कि वो भी अब परिस्थितियों से हार नहीं मानेगी और अपने सपने पूरे करेगी। वापस आकर उसने धीरे-धीरे मुश्किल परिस्थितियों में ही अपना अधूरा शोधकार्य पुनः प्रारंभ किया। और फिर उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शोधकार्य पूर्ण होते ही उसने कॉलेज में व्याख्याता पद के लिए आवेदन कर दिया और व्याख्याता बन गई। साहित्य से जुड़े होने के कारण अब उसने पुनः लिखना भी शुरू कर दिया, धीरे-धीरे उसके लेख पत्र - पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होने लगे, इस तरह स्वयं के लिए कुछ कर पाने से नेहा भी अब खुश रहने लगी ,उसकी प्रेरणा के रूप में उसकी चाची ने जो राह दिखाई थी, उस पर चलकर नेहा को अपनी मंज़िल नज़र आने लगी थी।
✍️तोषी गुप्ता✍️
16/02/2021
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