प्रेम का इज़हार - आज के परिप्रेक्ष्य में
प्रेम का इज़हार - आज के परिप्रेक्ष्य में*
आज के परिप्रेक्ष्य में यदि प्रेम के इज़हार की बात की जाए, तो लड़का / लड़की अपने साथी से बेहिचक अपने दिल की बात करते अपने प्रेम का इज़हार करते मिल जाएंगे। कितना आसान हो गया है न आज के परिप्रेक्ष्य में अपने प्रेम का इज़हार करना। संचार सुविधाओं ने तो आज प्रेम के इज़हार को और भी आसान बना दिया है। ना केवल अपने प्रेम का इज़हार बल्कि, अपने दिल की हर बात अपने साथी को खुले शब्दों में आज के युवा बेहिचक कर रहे हैं।
ये पहले के समय में इतना आसान नहीं हुआ करता था। कई तो ताउम्र अपने प्रेम का इज़हार नहीं कर पाते थे और कई इंतज़ार करते रह जाते कि सामने वाला उससे अपने प्रेम का इज़हार करेगा। कुछ को अपने प्रेम का इज़हार करने में इतना समय लग जाता कि सामने वाला किसी और का दामन थाम चला जाता तो कोई इतनी देर से अपने प्रेम का इज़हार कर पाता कि सामने वाला पहले ही किसी और के साथ वचनबद्ध हो चुका होता।
पहले के ज़माने में प्रेम को निभाने की शिद्दत भी गज़ब की हुआ करती थी। व्यक्ति किसी एक से प्रेम के बंधन में बंध गया तो ताउम्र उस प्रेम के बंधन को निभाता, चाहे वो प्रेम उसे हासिल हो या न हो।ऐसे ही प्रेम के कुछ किस्से प्रेम की मिसाल के रूप में जाने जाते है। राधा कृष्ण का पवित्र प्रेम तो मिसाल है, प्रेम की। बाद के समय में लैला मजनू, हीर रांझा और भी कई प्रेम के मिसाल हुए हैं।
वर्तमान में प्रेम का इज़हार जितना आसान हुआ है, प्रेम के रूप में भी उतना ही परिवर्तन देखने को मिला है।वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रेम के इज़हार के बाद भी ज़रूरी नहीं कि उस प्रेम की उम्र ताउम्र रहेगी। और ऐसे भी मिसाल आज देखने को मिलते हैं कि व्यक्ति आभासी दुनिया में अपने प्रेम के इज़हार के बाद प्रभासी दुनिया में भी अपने प्रेम को शिद्दत से निभाता है।
चाहे समय कितना भी बदल जाये , चाहे बीते कल की बात हो या आज की, प्रेम का नाम सुनते ही मन की कलियाँ खिल उठती हैं और मन सकारात्मक ऊर्जा से भर उठता है। प्रेम का इज़हार चाहे साथी से हो या माँ से या पिता से या पुत्र/पुत्री से , बहुत ज़रूरी है प्रेम का इज़हार करना। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रिश्तों में प्रेम का इज़हार और भी ज्यादा जरूरी हो गया है, क्योंकि अब समय अपने मनोभावों को सामने वाले के सामने प्रकट करने का है। वो समय गया जब लोग मन ही किसी के प्रति अपने प्रेम को समझ पाते हैं। जहां हर तरफ दुनिया में खुले रूप से अपने मनोभावों को प्रकट करने की होड़ सी लगी हुई है वहाँ हर रिश्तों में उसके प्रेम को इज़हार करने की भी नितांत आवश्यकता है।
✍️तोषी गुप्ता ✍️
छत्तीसगढ़
14/02/2021
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