*संगठन में शक्ति होती है,*
*संगठन में शक्ति होती है,*
और संगठन की इस शक्ति को हम प्रकृति के द्वारा बेहतर समझ सकते हैं। जैसे चींटियाँ , हमेशा समूह में रहकर कार्य करती हैं, और समूह में ये असंभव कार्य भी कर लेती हैं, जैसे अपने से कई गुना भारी और बड़े भोजन को अपने गंतव्य तक ले जाना। इसी तरह मधुमख्खियाँ, जो समूह में कार्य कर कुछ ही मिनटों में अपने लिए छत्ता तैयार कर लेते हैं और समूह में कार्य कर ही इतनी अधिक मात्रा में शहद इकट्ठा कर लेती हैं। शहद एकत्रित करने वालों को भी इसी संगठन की शक्ति से अपने छत्तों से दूर रखती हैं। 1-2 नहीं सभी मधुमख्खियाँ संगठित होकर शहद एकत्रितकर्ता पर टूट पड़ती हैं। इसी तरह पेड़ों का ढेरों समूह जीवनदायिनी वर्षा का कारण बनता है। संयुक्त परिवार भी इसके उदाहरण हैं जो एकल परिवार से हमेशा अधिक सुरक्षित और सुखी माने जाते हैं। ये अन्तरा परिवार भी इसका उदाहरण है , जिसमें अब हम सब संगठित होकर साहित्य की ख़ुशबू देश के कोने कोने तक बिखेर रहे हैं। ऐसे कितने ही उदाहरण मिल जाएंगे , सीमा पर मुस्तैदी से डटे हुए हमारे सैनिक जो संगठित होकर साथ रहते हैं और दुश्मन से हर पल हमारी रक्षा करते हैं। ये सब संगठन से ही संभव है। इन सब के कारण ही कहा गया है
*संगठन में शक्ति होती है*
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