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मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

ऋतुराज बसन्त

 




*ऋतुराज बसन्त*




मन्द मन्द बहती बसन्ती बयार,


जैसे कहती हों, कानों में कुछ आज,




बिखर रही चहुँ ओर हरियाली,


पीली सरसों और गेहूँ की बाली,




गूँज रही कोयल की कूक,


चिड़ियों की चहचहाहट मधुर,




लाल-पीले फूलों की बगिया,


भँवरे की गूँजन से गूँजे वादियाँ,




फूले पलाश की नारंगी कलियाँ,


आम की बौर से लदी डालियाँ




प्रिय से मिलने को आतुर मन,


ये है ऋतुराज बसन्त का आगमन,




✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻

 छत्तीसगढ़

15/02/2021

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