दरियादिल "फर्ज़"
*दरियादिल*
*फर्ज़*
गीता आज बहुत खुश थी। आते ही उसने माँ के पैर छुए और आशीर्वाद लिया। आज वो कॉलेज में व्याख्याता से प्रिंसिपल हो गई थी।और साथ ही अपने सहकर्मी व्याख्याता अजय से विवाह करने जा रही थी।पिता के जाने के बाद से ही घर की सारी जिम्मेदारी गीता के ऊपर ही आ गई थी। घर की जिम्मेदारियों और छोटे भाई बहनों की परवरिश के लिये उसने खुद शादी भी नहीं की। छोटी बहन अब अपने ससुराल में सुखी थी और छोटा भाई भी अब बैंक में अच्छी पोस्ट पर था जिसकी भी शादी और बच्चे हो चुके थे।सभी जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद ही अब उसने अजय से शादी का फैसला लिया था।शादी को एक ही हफ्ता बचा था। लेकिन वक़्त को कुछ और ही मंज़ूर था। पता चला कि उसके छोटे भाई की दोनों किडनियाँ खराब हो चुकी हैं, और उसे किडनी की ज़रूरत है। गीता ने अपना टेस्ट कराया और गीता की किडनी उसके छोटे भाई से मैच हो गई।एक बार फिर अपने जिम्मेदारियों के चलते गीता ने अजय से अपनी किडनी छोटे भाई को दान करने की मंशा ज़ाहिर की। अजय अपनी भावी पत्नी की दरियादिली से वाक़िफ़ था। और हर बार की तरह इस बार भी उसने गीता का पूरा साथ दिया। गीता ने एक बार फिर अपने निजी सुखों का त्याग कर दरियादिली दिखा अपना फर्ज़ पूरा किया, लेकिन इस बार उसे खुशी थी कि उसका भावी पति भी उसकी इस दरियादिली में उसके साथ था।
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
23 / 02/ 2021
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