पिता
परिवार के आधार स्तंभ होते हैं पिता,
सर पर रख हाथ, आशीर्वाद बन जाते हैं पिता,
तप कर धूप की गर्मी में,
परिवार के लिए निवाला लाते हैं पिता,
कठिन परिस्थितियों में भी,
अपना फर्ज निभाते हैं पिता,
सही गलत की पहचान कराते,
कभी डांटते हैं पिता,
बनते हैं फिर मार्गदर्शक ,
निःस्वार्थ प्रेम करते हैं पिता,
पथरीली पत्थरों पर चलकर,
बच्चों के लिए राह बनाते हैं पिता,
नर्म हथेली की थपकी उन्हें देकर,
उनके सपनों के लिए जागते हैं पिता,
सख़्त हृदय का बनकर,
पत्थर सा मजबूत बनते हैं पिता,
सच तो ये है परिवार की बागडोर होते हैं पिता,
परिवार के आधार स्तंभ होते हैं पिता,
सर पर रख हाथ, आशीर्वाद बन जाते हैं पिता,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
20 फ़रवरी 2021
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें