एक ख़्वाब
एक ख़्वाब
देखा एक ख़्वाब,
जो ले चला मुझे
सुकून के द्वार,
एक ऐसी दुनिया,
जहाँ ना नफ़रत,
ना झगड़े-फ़साद,
इंसां जहाँ बाँटें,
खुशिया हज़ार,
एक-दूजे का लेकर,
हाथों में हाथ,
जात-पांत को,
रखे दर किनार
प्यार ही प्यार,
बाँटें बेशुमार,
जहाँ न कोई,
अमीर या ग़रीब,
ना कोई छोटा या बड़ा,
बाँटते आपस में सब
सुख हो या दुख अपार
निश्छल प्रेम की,
जहां बहें निर्मल गंगा
जहाँ सब कहें,
दिलवालों की है ये दुनिया,
✍️तोषी गुप्ता✍️
01/07/2021
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