स्त्री
स्त्री (1)
क्या होती है स्त्री,
कभी जाना है उसे,
या जानने की
कोशिश की है कभी,
उसके कोमल
मन को जानना
इतना आसान भी तो नहीं
ऊपर से कठोर
पर भीतर से कोमल
यही तो ख़ास है उसमें
कोमलांगी होते हुए भी
भीतर से मजबूत
ठान ले एक बार जो
पूरा कर दिखाए उसे
राह में चाहे
मुश्किलें हजार आएं
डटे रहे अपने अडिग पग पर
बात अस्मिता पर जब आये
रौद्र रूप अपना दिखाए
वहीं ममता की छांव में अपने
सारे गमों को भूल जाये
✍️तोषी गुप्ता✍️
27-06-2021
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