शब्द
शब्द
शब्द जो दिल में आते हैं
काग़ज़ में उतार देते हैं,
मन में आये भावों को,
मोती सा माला में पिरो देते हैं,
खुशी हो या ग़म,
भाव ख़ुद ब ख़ुद आ जाते हैं,
ये वो अनदिखे शब्द हैं,
जो दिल में चित्र बनाते हैं,
शब्द ही हैं जो,
मरहम लगाते हैं,
शब्द ही हैं,
जो तीर से चुभ जाते हैं
ख़्वाबों में जो देखा,
उसे लफ़्ज़ों में ढाल देते हैं,
हकीक़त में मिले दर्द को,
कविताओं में सजा देते हैं
मौन की भाषा को,
शब्दों का रूप देते हैं,
अनकहे जज़्बात हैं फिर भी,
दिल में उतर शोर मचाते हैं,
✍🏻तोषी गुप्ता✍️
05-07-2021
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