एक नई सुबह
एक नई सुबह
आज मौसम बड़ा खुशगवार है,
ये खूबसूरत सुबह,
गुनगुनाती धूप
और उस पर
ये बालकनी में
चाय की चुस्कियों के साथ
अख़बार की ख़बरें
पास ही झूला झूलते
छोटी बहन की हंसी
मेरी छोटी सी फुलवारी में
फुदकती नन्हीं चिड़िया
नीले आसमान की खूबसूरती
ठंडी हवा की मादक बयार
बालकनी से दिखती
वो सुंदर सड़क
चाय की गुमटी पर गप्पें मारते
वो लड़के-लड़कियों का झुंड
सड़क किनारे लगे ताज़े फलों के ठेले
दूजी ओर ताजी सब्जियों की पंक्ति
अंदर किचन से आती मम्मी की आवाज़
बीच बीच में पापा की गुनगुनाने की आवाज़
कभी भाई का आकर चिकोटी काट जाना
कभी दोनों छोटों का आपस में लड़ना
ऐसा लगा जैसे सब कुछ नया हो,
जैसे इस सुबह की हर बात निराली हो,
ऐसा नहीं कि ये सब पहली बार हो
दिन वही था, लोग वही थे
बस बदला था कुछ मेरे साथ
हुआ यूँ कि
मोबाइल मेरा बिगड़ गया
और खूबसूरत ये दिन दिखा गया
काफी दिनों बाद आज
बालकनी में आना हुआ
मोबाइल से परे भी एक दुनिया है
ये जानना हुआ
मोबाइल की आभासी दुनिया में
रात दिन जहाँ कटते थे
हर रिश्ते भी जहाँ
मोबाइल पर ही निभते थे
आज ये जानना हुआ
ये दुनिया कितनी प्यारी है एहसास हुआ
अब ठाना मन में एक बात
मोबाइल को ना बनने देंगे
अपनी हसीं दुनिया की फांस
करके मोबाइल का सीमित उपयोग
करेंगे समय का भी सदुपयोग
✍️तोषी गुप्ता✍️
09-07-2021
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