आस्तीन के साँप
आस्तीन के साँप
ऐसे हंसकर मिला करते हैं,
जैसे अपने हों मेरे
बात बात में समझाइश देते,
जैसे शुभचिंतक हों सबसे बड़े मेरे,
हर खुशी में मेरे खुश होते,
हर दुख में मेरे साथ दुखी,
परेशानी में साथ आते ऐसे,
जैसे वो न होते तो बात बनती कैसे,
हर बात से अनजान
हम भी भरोसा करते उन पर
अक्सर हाल ए दिल बयान करते
खुद से भी ज्यादा विश्वास करते उन पर
बहुत खतरनाक ये होते हैं
आस्तीन के साँप जो कहलाते हैं
लेकर हमारा ही सहारा,
निगलने को हमेशा तैयार रहते हैं,
पहचान कर इनको दूरी बनाना है ज़रूरी,
प्रेम से निभाकर इन्हें वश में करना है ज़रूरी,
✍️तोषी गुप्ता✍️
27-07-2021
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