हिंदी मेरी पहचान
हिंदी मेरी पहचान
संस्कृत से जन्मी हिन्दी
हृदय को छू जाती है,
मन में आते भावों को
उचित शब्द दे जाती है,
भाषा की संतुष्टि,
हिन्दी से जो आती है,
पढ़ूँ भी हिन्दी,लिखूँ भी हिन्दी
हर सोच हिन्दी को भाती है,
है हिंदी जब मातृभाषा,
यूँ तो सबको आती है,
फिर क्यों बोलने में कुछ को,
अक़्सर शरम आती है,
मातृभाषा का अपनी सम्मान करो,
ये भाषा भी राष्ट्रभक्ति सिखाती है,
हिन्दी तो है अब राष्ट्रभाषा,
जो भारत की शान बढ़ाती है,
हिन्दी मात्र भाषा नहीं,
ये भावनाओं का उद्गार है,
आने वाली पीढ़ी को,
यह अमूल्य उपहार है,
मेरी संवेदनाओं को शब्द देती,
यह हिन्दी मेरी पहचान है,
अमूल्य विरासत में मिली
यह हिन्दी मेरा अभिमान है,
✍️तोषी गुप्ता✍️
27-08-2021
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