हर एक दोस्त ज़रूरी होता है
*हर एक दोस्त ज़रूरी होता है*
दोस्ती नाम है विश्वास का, और निश्छल प्रेम का, भगवान ने जब हमें जन्म दिया तो सब कुछ निश्चित था , हमारे माता -पिता , भाई- बहन, रिश्तेदार,,,, सब कुछ। एक दोस्त , सखा, मित्र ही था जिसने हमें अपने मन से खुद चुना। और दो लोगों के बीच दोस्ती का रिश्ता तभी बनता है, जब उनके बीच वैचारिक समानता होती है। अल्प समय के लिए मतभेद ज़रूर हो सकते हैं लेकिन दीर्घकालिक देखा जाए तो दोनों के बीच विचारों की समानता पाई जाती है। दोस्ती में धर्म , जात - पांत, अमीर- गरीब का भेद नहीं होता। जहां दिल मिल जाये, विचार मिल जाये, दोस्ती हो जाती है। ऐसे में "हर एक दोस्त ज़रूरी होता है", क्योंकि हर एक दोस्त में अपनी एक अलग विशेषता, और अलग गुण होते हैं, और दोस्त तो वो होते हैं जो मुसीबत में सबसे आगे खड़े होते हैं। दोस्त की परेशानी, सुख- दुख, खुशी- गम, सब बाँट लेते हैं। इसलिए कहा जाता है,हर एक दोस्त ज़रूरी होता है।
दोस्ती सिर्फ 2 अनजान लोगों के बीच नहीं होती , बल्कि माँ - बेटी, पिता- पुत्र, भाई- बहन, किसी के भी बीच हो सकती है, और ना ही ये उम्र की मोहताज है तभी तो दादा-दादी और नाना-नानी, पोते-पोतियों के अभिन्न मित्र बन जाते हैं। तब रिश्ता पहले से भी कहीं और मजबूत हो जाता है।
निश्छल प्रेम के इस मजबूत धागे में कोई बड़ा -छोटा नहीं होता, बल्कि दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं। जिसे बहुत खूबसूरती और समझदारी से निभाना होता है। चाहे दोस्ती का कोई भी रूप हो बस विश्वास की डोर मजबूत होनी चाहिए। इसलिए तो दोस्ती की मिसाल दी जाती है।
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
07/05/2021
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