वो मस्ती भरी दोपहरी,,,
वो मस्ती भरी दोपहरी
नीम की छाँव तले वो ठंडी दोपहरी,
दोस्तों के साथ , हमारी मस्ती भरी टोली,
वो पूरी दोपहर यूँ ही गुज़ार देना,
कभी बेर तोड़ लाना,
तो कभी बेल को तोड़ कर खाना,
पेड़ों की छाँव तले ,
अपना एक छोटा सा घर बनाना,
कुछ लकड़ियों के सहारे घेरे बनाना,
फिर मम्मी की साड़ी ले ,
उसकी दीवारें बनाना,
अपना आशियाना फूल पत्तों से सजाना,
छोटा सा चूल्हा बना ,
मिट्टी के बर्तन में खाना पकाना,
फिर सब दोस्तों संग उस दाने दाने को ,
चटखारे लेकर खाना,
बस यूँ ही गुजर जाती थी दोपहर,
दोस्तों संग घर- घर खेल कर,
बहुत याद आते हैं वो बीते हुए पल,
वो मस्ती भरी दोपहरी
और नीम की छाँव तले ठंडी दोपहरी,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
17-05-2021
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