व्हाट्सएप्प स्टेटस
व्हाट्सअप स्टेटस
रोज की भांति शेखर बाबू ने सुबह की चाय और अख़बार के बाद अपने मोबाइल पर व्यस्त हो गए। वो भी अपनी छोटी सी बगिया के कुछ फूलों की तस्वीर अपनी तस्वीर के साथ व्हाट्सअप स्टेटस पर डाल दिये।
कुछ ही मिनट हुए होंगे कि उनके मॉर्निंग वॉक और इवनिंग वॉक के मित्रों माथुर साहब, शर्मा जी, सविता जी, प्रोफेसर सीमा, रमेश भाई आदि के कमेंट्स आने भी शुरू हो गए। शेखर बाबू ने भी अपने मित्रों के व्हाट्सअप स्टेटस पर कमेंट्स किये।
इस लॉकडाउन और कोरोना के समय मित्रों से मिलना तो नहीं हो पाता था लेकिन व्हाट्सएप्प स्टेटस के जरिये सभी मित्र आपस में अपनी कुशलता का संदेश साझा किया करते थे। शेखर बाबू मोबाइल में अपने मित्रों के व्हाट्सएप्प स्टेटस में व्यस्त थे तभी बहू रीना ने आवाज़ लगाई,,,,,,
"पापाजी नाश्ता तैयार है, आइए,,,,"
शेखर बाबू जैसे अपने मोबाइल में ही मगन कुछ ढूंढ रहे थे तभी राहुल भी आ गया और बोला,,,,
"पापाजी चलिए भी, नाश्ता ठंडा हो रहा है,,,"
शेखर बाबू नाश्ता करने डाइनिंग टेबल पर आ गए। नाश्ता करते करते भी बार - बार वो थोड़े चिंतित से अपना मोबाइल चेक कर रहे थे।
राहुल ने उनसे पूछा,,,, "क्या हुआ पापाजी, आप कुछ परेशान नज़र आ रहे हैं, कोई बात है क्या,,?"
शेखर बाबू ने थोड़ा परेशान होते हुए कहा,,,, "नहीं कुछ नहीं, अभी तक श्रीवास्तव जी ने अपना व्हाट्सएप्प स्टेटस नहीं डाला, बस वही देख रहा था।"
राहुल और रीना शेखर बाबू की इस बात पर हँस पड़े और राहुल ने कहा, हो सकता है कहीं व्यस्त होंगे, तो नहीं डाला व्हाट्सएप्प स्टेटस , इसमें परेशान होने वाली क्या बात है,,,?
शेखर बाबू चुपचाप नाश्ता करने लगे, लेकिन अभी भी उनके चेहरे पर चिन्ता के भाव थे। असल में सभी मित्रों ने इस लॉक डाउन में अपनी ख़ैरियत बताने के लिए व्हाट्सएप्प स्टेटस को माध्यम बनाया था। सभी मित्र सुबह उठकर निश्चित रूप से कोई न कोई व्हाट्सएप्प स्टेटस डालते। इस तरह सभी मित्रों को एक- दूसरे की ख़ैरियत पता चलते रहती।
नाश्ता करने के बाद फिर शेखर बाबू अपनी बालकनी में चले गए, पक्षियों के लिए दाना -पानी रखा। कुछ पक्षियों की तस्वीरें ली और व्हाट्सएप्प स्टेटस पर डाला। मोबाइल देखते देखते अब वो एकदम से चिंतित हो गए । 11 बज रहे थे लेकिन श्रीवास्तव जी ने आज ना ही कोई व्हाट्सएप्प स्टेटस डाला ना ही कोई कमेंट्स किया। अब उनसे रहा नहीं गया उन्होंने श्रीवास्तव जी को फोन लगाया , उन्होंने नहीं उठाया, तो शेखर बाबू जाकर राहुल से बोले,,,,,
"राहुल मुझे लगता है कुछ गड़बड़ है, हमें तुरंत श्रीवास्तव जी की खबर लेनी चाहिए।" और अपने मित्रों के बीच व्हाट्सएप्प स्टेटस के बारे में निश्चित हुई सारी बातें बताई।
दरअसल श्रीवास्तव जी और उनकी पत्नी उनके घर से कुछ दूर ही रहते थे। बेटा बहू पुणे में तो बेटी दामाद हैदराबाद में सैटल थे। श्रीवास्तव जी और उनकी पत्नी घर में अकेले रहते थे। राहुल को भी अब अपने पापा की बातें सही लग रही थी। राहुल ने तुरंत अपने पड़ोसी विजय को फ़ोन किया और पूरी सुरक्षा के साथ दोनों श्रीवास्तव जी के घर गए। 4-5 बार घंटी बजाने के बाद मिसेज़ श्रीवास्तव धीरे-धीरे कदमों से दरवाजे तक आई। दूर से ही उन्होंने बताया कि श्रीवास्तव जी को हल्का बुख़ार है और उनकी तबियत भी ठीक नहीं लग रही। बिना देर किए राहुल और विजय ने पास के ही अस्पताल में फोन लगाया और एम्बुलेंस मंगाया। और श्रीवास्तव जी और उनकी पत्नी को अस्पताल भिजवाया। उनके बेटे और बेटी से भी फेसबुक के जरिये संपर्क कर जानकारी दी।
लगभग 20 दिन अस्पताल में रहने के बाद पूर्ण स्वस्थ होकर श्रीवास्तव जी वापस अपने घर आये। और अगली ही सुबह उन्होंने चाय के कप के साथ अपनी तस्वीर अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लगाई। शेखर बाबू ने श्रीवास्तव जी का स्टेटस देखा और 👍 का साइन दिया। और फिर अपनी बगिया के फूलों की तस्वीर व्हाट्सएप्प स्टेटस में डाल दी। सभी मित्रों के व्हाट्सएप स्टेटस और कमेंट्स देखकर अब शेखर बाबू और श्रीवास्तव जी दोनों बहुत खुश थे।
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
25/05/2021
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