"बेटी बनी अब माँ"
बेटी बनी अब माँ...
इंतज़ार अब थम ना रहा था,
कैसे हो नौ महीने पूरे,
इस सोच में एक-एक पल,
इंतज़ार बढ़ता ही जा रहा ,
इंतज़ार भी ख़त्म हुआ,
और गोद में एक नन्हीं कली आई,
अब मुस्काती हुई, नाज़ुक सी परी आई,
रोम-रोम खिल उठा,जब अपनी परछाई,
अपने हाथों में पाई,
अब दिन रात होता उसका साथ,
उसे नहलाते, उसका श्रृंगार करते,
छोटी सी फ्रॉक पहने,
छम छम उसके पैरों की आवाज़ सुनते,
हंसती , खिलखिलाती,
पूरे घर में उसकी आवाज़ गूंजती,
अब धीरे-धीरे बड़ी हो रही है,
मेरा भी अब ख्याल रखने लगी है,
माँ साथ खाना खाएंगे बोल
सखी बन जाया करती है,
कभी मेरी कुर्तियां, कभी मेरी चुनरी ,
तो कभी मेरी साड़ी लपेट, शरमाया करती है,
कभी मेरे बालों को सहलाते हुए,
मेरे बाल भी बनाया करती है,
अब तो मेरे कपड़े भी खुद पसंद करती,
और कभी मेरा श्रृंगार किया करती है,
किचन में मेरे साथ खुद आकर,
हाथ बंटाया करती है,
तो कभी मेरे लिए,
अपने हाथों से चाय बना लाती है,
साथ बैठकर घंटों गप्पे लड़ाती,
मेरी गलतियों पर अब ,
मुझे डांटा भी करती है,
हाँ मेरी बेटी, मेरी माँ बन,
मेरे साथ समय बिताया करती है,,,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
10/05/2021
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