*तो क्या कहेंगे आप*
*तो क्या कहेंगे आप*
खूबसूरती भी दो तरह की,
एक देह की, एक मन की,
हो खूबसूरत देह,
पर मन में हो खोट
तो क्या कहेंगे आप,,,
सीरत भी दो तरह की,
एक सबके सामने, एक भीतर,
सबके सामने हो आदर्श,
पर भीतर हो जीना दुश्वार,
तो क्या कहेंगे आप,,,,
सिक्के के पहलू भी दो तरह के,
एक चित, एक पट,
जब जीत जाए एक,
पर दूजा चाहे चित भी
उसकी,पट भी उसकी
तो क्या कहेंगे आप,,,,,
सच भी दो तरह का,
एक अर्ध सच, एक आईना का सच,
अर्ध सच सब मान भी जाये,
पर आँखे न मिला सको आईने में,
तो क्या कहेंगे आप,,,,
रिश्तों का मान भी दो तरह का,
एक ज़रूरत का, एक मतलब का,
मतलब था तो साथ थे,
ज़रूरत में सब गायब है,
तो क्या कहेंगे आप,,,,
नशा भी दो तरह का,
एक बेकार की आदतों का, एक सफलता का,
सफलता हो अपार,
लेकिन बेकार की आदत हो साथ ,
तो क्या कहेंगे आप,,,,
दौलत भी दो तरह की,
एक अर्थ की, एक सुख की,
धन दौलत हो अपार,
पर सुख ना हो साथ,
तो क्या कहेंगे आप,,,,
सुख भी दो तरह का,
एक दौलत का, एक परिवार का,
दौलत का हो साथ अपार,
पर परिवार में हो अनबन हज़ार,
तो क्या कहेंगे आप,,,,
परिवार भी दो तरह का,
एक साथ रहते हुए, एक ज़रूरत में साथ रहते हुए,
साथ तो रहते हैं ,
पर ज़रूरत में साथ ना हों,
तो क्या कहेंगे आप,,,,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
26/05/2021
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