सपनों के पँख
सपनों के पँख
अपने सपनों के पंख फैलाकर,
उन्मुक्त गगन में उड़ जाऊं,
बुनकर अपने सपनों को,
एक नया आयाम दे जाऊं,
मन कि आँखों से ,
एक नया संसार बनाऊं,
जहाँ हों खुशियाँ ही खुशियाँ
ऐसी दुनिया में बस जाऊँ,
रखूं हौसला, मुश्किल पथ पर,
नाकामी से ना घबराऊँ,
जीत का सबब ले मन में,
हर मुश्किल से जीत जाऊँ,
आसमाँ छूने का अरमान ले
दिल में,
अपने पँख फैला जाऊँ,
ख़्वाबों की मोती पिरोकर,
सुन्दर माला सजा जाऊँ,
हो कितनी भी ऊँची मंज़िल,
हासिल करने मचल जाऊँ,
अपनी काबिलियत के दम पर,
उस मंज़िल पर पहुँच जाऊँ,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
21-05-2021
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें