महिला दिवस का सम्मान
महिला दिवस का सम्मान
निर्माणाधीन बड़े कॉम्प्लेक्स के पहले माले तक बनी लकड़ीयों की टेढ़ी मेढ़ी सीढ़ी पर सावधानी से पैर रखती छः माह की गर्भवती माला की नज़र नीचे बड़ी-बड़ी गाड़ियों से उतरते लोगों पर पड़ी। सूट बूट में उतरते कुछ पुरुषों के साथ कुछ झक सफेद कुर्ता पायजामा धारी भी थे। काला चश्मा और महंगे परिधानों में ऊंची एड़ी के फैशनेबल जूते पहनी महिलाएँ भी साथ थीं तो कुछ समाजसेवी टाइप नेत्रियां भी साथ थीं। इन सबके साथ उनके आगे पीछे कैमरा लेकर दौड़ते कुछ लोग जो हर एंगल से उनकी तस्वीर लेने आतुर थे।
इधर ठेकेदार पसीने से लथपथ तुरंत दौड़ा उनकी ख़ातिरदारी के लिए। आनन फानन में कुर्सियों की व्यवस्था की गई और उस निर्माणाधीन कॉम्प्लेक्स के सभी मजदूरों को वहां इकट्ठा होने कहा गया। महिला मजदूरों को प्रथम पंकियों में जगह दी गई। कुछ लोगों की नज़र माला पर पड़ी तो बड़े लोग उसे बुलाकर अपने साथ कुर्सी पर बिठा लिए। ठेकेदार ने स्वयं माला के लिए कुर्सी लगाई। उसे और उसके महिला मजदूरों को खूब सारे उपहार भी मिले सभी बड़े लोगों ने उन उपहारों को देते हुए माला के साथ फोटो खिंचाई। उन बड़े लोगों की बातों से पता चला आज महिलाओं का कोई ख़ास दिन है। ये सब देखकर माला की आँसू आ गए, कल की ही तो बात थी जब उसने ठेकेदार से विनती की थी कि छठा महीना चल रहा है, उसे कोई हल्का काम दे दिया जाए, और ठेकेदार ने बुरी तरह झिड़कने के साथ उसे घर पर रहने की सलाह दी थी। माला बस यही सोच रही थी कि काश ये ख़ास दिन रोज़ होता तो रोज़ उसे इतना ही आराम और मान-सम्मान मिलता।
✍️तोषी गुप्ता✍️
07-03-2022
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