शुभागमन
शुभागमन
"अरे नीता, चलो भाई, हमें देर हो रही है," नवीश ने कार में बैठते हुए नीता को आवाज़ लगाई।
नीता भी भागती हुई सी कार में आकर बैठ गई। नवीश ने कार आगे बढ़ाई। कुछ देर दोनों मौन ही रहे।
अचानक नीता ने कहा, "नवीश हम ठीक कर रहे हैं?"
नवीश ने उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर हल्के से दबाते हुए कहा, "हाँ" और दोनों मुस्कुरा उठे।
शादी को ग्यारह वर्ष हो चुके थे लेकिन नीता को गोद अब तक सूनी थी। शादी के दो वर्ष बाद ही एक सड़क हादसे में नीता और नवीश बुरी तरह घायल हो गए थे। उस समय नीता का दूसरा माह चल रहा था। दोनों की जान तो बच गई लेकिन नीता ने अपना बच्चा खो दिया डॉक्टर ने बताया कि अब वह कभी माँ नहीं बन सकती। दोनों ठीक होकर घर आ गए लेकिन नीता को हमेशा एक बच्चे की चाहत रही।
कार अब अपने गंतव्य तक पहुँच चुकी थी। दोनों ने ऑफिस में जाकर कुछ ऑफिशियल फॉर्मेलिटी पूरी की। कुछ ही देर बाद एक महिला ने एक छोटे से बच्चे को नीता की गोद में डाल दिया। मात्र कुछ ही महीनों का वो बच्चा टुकुर टुकुर नीता को निहार रहा था। नीता उसे देखकर मंत्र मुग्ध हो गई। उसे छूने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि बच्चे ने अपने छोटे से हाथों से नीता की उँगली थाम ली। अचानक नीता के होठों से आवाज़ आई,,,, "शुभ" ।
नीता और नवीश की आँखों में अब खुशी के आँसू छलक रहे थे। उन्होंने कृतज्ञता से सामने बैठी ऑफिस इंचार्ज को धन्यवाद किया। और इस नन्हीं सी जान को लेकर चल पड़े। दोनों की आँखों से अब भी खुशी के आँसू छलक रहे थे, उनके जीवन में अब इस नन्हीं सी जान शुभ का शुभागमन जो हुआ था।
✍️तोषी गुप्ता✍️
14/04/2021
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