परिवार पर्व
*परिवार पर्व*
उत्सव तो उसी दिन हो जाता है,
जब सारा परिवार साथ मिल जाता है,
सुबह से घर में बच्चों की धमा चौकड़ी होती है,
किचन में दादी, मम्मी, चाची,तायी होती हैं,
पकवानों की सोंधी खुशबू साथ होती है,
पकवानों साथ सबकी गप्पें भी हज़ार होती,
महक महक जाता घर का कोना कोना,
ठहाकों की गूंज के बीच उदासी का खोना,
संग मिलकर भोजन करना,
और घंटो खाने की टेबल पर गप्पें मारना,
चाचा , पापा, दादा , ताया के संग कैरम की टकाटक होती,
शाम को छत पर जाकर पतंगबाजी की अनोखी पैंतरे होती,
देर रात तक किस्से कहानियों का दौर,
चाची, मम्मी , दादी , तायी की शिकवे शिकायतों का दौर,
थककर चूर होकर सबका सो जाना,
फिर परिवार पर्व के सपनों में खो जाना,
सच ही है, उत्सव तो उसी दिन हो जाता है,
जब सारा परिवार साथ मिल जाता है,,,,,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
12/04/2021
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