बेवजह ना लगाओ अनुमान
*बेवजह ना लगाओ अनुमान*
बेवजह ना लगाओ अनुमान,
किसी की बातों का,
कि वो सही है या गलत,
सच है या झूठ,
बस मान लो उनकी बात,
कि हर शख़्स ग़लत नहीं होता,
बेवजह ना लगाओ अनुमान,
किसी के अहसासों का,
कि उसकी भावनाएं
अपनापन है या दिखावा,
बस महसूस कर लो उसकी भावनाएं,
कि हर शख़्स छल और दिखावा नहीं करता,
बेवजह ना लगाओ अनुमान,
किसी के अरमानों का,
कि उसके अरमान,
उसके अपने हैं या गैरों के,
बस देख लो उसके अरमानों को उसकी नज़र से,
कि हर शख़्स केवल अपने लिए नहीं जीता,
बेवजह ना लगाओ अनुमान,
किसी की मंज़िल का,
कि उसकी मंज़िल पास है
या दूर,
ग़र कुछ ना कर सको तो सिर्फ जाने दो उसे,
उसकी मंज़िल की ओर,
कि हर शख़्स छोटी सफ़लता से संतुष्ट नहीं होता,
बेवजह ना लगाओ अनुमान,
किसी की हंसी का,
कि उसकी हंसी,
उसके दिल से है या फिर खोखली है,
बस हंस लो उसके साथ उन पलों में,
कि हर शख़्स अंदर से ख़ाली नहीं होता,
बेवजह ना अनुमान लगाओ,
किसी की शिकायतों से,
कि उसकी शिकायतें,
बेमानी है या दिल से है,
बस समझने की कोशिश करो उसकी भावनाओं को,
कि हर शख़्स की शिकायत का मक़सद,
तुम्हें दुःख पहुँचाना नहीं होता,
बेवजह ना अनुमान लगाओ,
किसी के प्रेम का,
कि उसके प्रेम में,
वफ़ा है या दिखावा है,
बस रंग जाओ उसके प्रेमरंग में एक बार,
कि हर शख़्स बेवफ़ा नहीं होता,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
19/04/2021
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