मन की आँखों से,,,,,,,
मन की आँखों से,,,,
कैद में है नज़र ,
बाहरी दुनिया की चकचौंध में,
जहाँ देखती है ,
नज़र केवल वही,
जो दुनिया में केवल भ्रम है,
और हम बंधे हुए हैं नज़रों के,
इस मोहजाल में,
असल में नज़र हमें ,
वही दिखाती है ,
जो हम देखना चाहते हैं,
तो क्यों न आज एक काम करें,
अपने मन की नज़र को
पाक साफ़ करें,
अपने दिल को भाव विभोर करें,
दुनिया के प्रेम और दर्द से,
फिर एक बार सरोकार करें,
लोगों का दुख दर्द बांट,
प्रेम का संचार करें,
मन की आँखों से,
दुनिया की खूबसूरती देखें,
दूसरे की पीड़ा समझें,
भूलकर बैर का भ्रम,
नए सुभाव का संचार करें!!
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
10/04/2021
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