कभी सोचा न था, ये दिन भी आएगा,
कभी सोचा न था,,,,
कभी सोचा न था, ये दिन भी आएगा,
सूनी होंगी सड़कें कई दिन,
मोर भी सड़कों पर इतरायेगा,
छुट्टियां होंगी रोज़ ,और एक दिन
छुट्टियों से मन भर जाएगा,
खाएंगे रोज़ घर का खाना,
पानी पूरी को जी ललचाएगा,
रोज़ होंगी स्कूल की छुट्टियां ,
होली से होली स्कूल ना जाना होगा,
मोबाइल पर मैडम की डांट,
ऑनलाइन भी पढ़ना होगा,
मम्मी बैठ टी वी देखेंगी,
पापा ढेरों पकवान बनाएंगे,
दिन भर लूडो कैरम खेलेंगे,
छत पर पतंग भी उड़ाएंगे,
रामायण और महाभारत भी,
टी वी पर देख पाएंगे,
फिर आया वो वक्त पुराना,
काले धुएँ से छुटकारा पाना,
शुद्ध हवा, और पक्षियों की चहचहाहट,
फूलों पर भँवरों का गुँजन,
कभी सोचा न था, ये दिन भी आएगा,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
27/03/2021
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