मन
*मन*
ये मन का विचरना,
विचारों के झंझावात में
यूँ मन का उलझना,
सुलझाने मन के तारों का
यूँ अतीत में खो जाना,
यादों में अतीत के जाकर
यूँ कशमकश में फँस जाना,
अकेले में इन सारे खयालों से
बाहर आने की कोशिश करना,
मन की राहों में आगे बढ़ते ,
आशाओं की सीढ़ीयाँ चढ़ते,
अपनी अकेलेपन की सोच से बाहर निकलना,,,,,,,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
26/03/2021
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