घरौंदा
घरौंदा
श्रेया मायूस सी आईने के सामने खुद को निहार रही थी । रिटायर्ड पिता थोड़े परेशान से हॉल में तेजी से चहलकदमी करते बार-बार घड़ी की ओर देख रहे थे। बहुत मुश्किल से उन्होंने कुछ पैसे श्रेया की शादी के लिए जोड़े थे। लेकिन हर बार बात दहेज तक आकर रुक जाती थी और मायूसी हाथ लगती थी। ऐसे में श्रेया का लिया गया फैसला पिताजी को और परेशान कर गया था। चहलकदमी करते अचानक वो श्रेया की माँ से धीरे से कुछ बोले। श्रेय की माँ श्रेया के कमरे में आई और बोली,
"बेटा अपनी ज़िद छोड़ दो, रिश्ता बहुत अच्छा है, लड़के वाले आते ही होंगे, तुम जैसे बोल रही हो वैसा लड़का मिलना बहुत मुश्किल है "
"मुश्किल है माँ पर असंभव नहीं, मैं अपना निर्णय नहीं बदलूंगी" श्रेया ने कहा,
माँ ने पीछे मुड़कर पिताजी को मायूसी से देखा जो दरवाजे के बाहर ही पर्दे की ओट में खड़े थे , तभी दरवाजे पर घंटी बजी।
माँ ने कहा, "लगता है लड़के वाले आ गए"
माँ और पिताजी दोनों दरवाजे की ओर चले गए और श्रेया ने कसकर अपनी आँखें बंद कर ली मानो कोई प्रार्थना कर रही हो।
हॉल में अब हलचल थोड़ी बढ़ गई, कुछ ही देर बाद माँ श्रेया को बुलाने आई।
पीयूष भी अपने माँ पिताजी के साथ आया था। पीयूष की माँ पिताजी ने थोड़ी बातें की फ़िर श्रेया और पीयूष को आपस में बात करने ऊपर छत पर भेज दिया।
छत पर बातें करते-करते श्रेया ने अपनी मंशा ज़ाहिर की, कि वह बिना दहेज के ही शादी करना चाहती है, बातें करने से अब तक पीयूष भांप चुका था कि श्रेया सुलझे विचारों वाली लड़की है। थोड़ा सोचकर उसने हामी भर दी।
दोनों नीचे आये। पीयूष ने अपने मम्मी-पापा से अकेले में थोड़ी बात की फिर वो रिश्ते के लिए तैयार हो गए।
पीयूष के पिताजी ने श्रेया के पिताजी से कहा, हमें रिश्ता मंजूर है, लेकिन हमारी एक शर्त है, अब श्रेया के पिताजी घबरा के उसकी माँ की ओर देखे और श्रेया पीयूष की ओर,,,
पीयूष के पिताजी ने कहा, "लड़की की विदाई आप सिर्फ एक जोड़े में करेंगे"
श्रेया के पिताजी ने हाथ जोड़ लिया उनकी आंखों से आँसू बहने लगे और उन्होंने श्रेया की तरफ देखा, जिसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट के साथ खुशी के आँसू बह रहे थे।
श्रेया की ज़िद ने आज एक घरौंदे को सहेजते हुए अपना एक नया घरौंदा तलाश लिया।
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
15-06-2021
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