दिल ही तो है
दिल ही तो है,
आँखों का हाल भी जो पढ़ ले,
बिना बोले जो भावनाओं को सुन ले,
टूटे दिलों के तारों को जो मिला दे,
एक दिल ही तो है,जो मौन की भाषा समझ ले,
हो कटुता ग़र मन में,उसे भी दर्शा जाता है,
लेक़िन ग़र हो प्रेम का सागर,
उसमें गोते लगाता है,
बैर का भरम तोड़ जो दिल को सुकून पहुंचाता है,
एक दिल ही तो है,जो सब भूल फ़िर आस कर जाता है,
तोड़ दे कोई विश्वास तो,फ़िर संशित हो जाता है,
हो कोई विश्वासपात्र फ़िर भी,उस पर शंका कर जाता है,
ग़र बोल दे कभी मीठे दो बोल कोई,
एक दिल ही तो है, जो फिर विश्वास कर जाता है,
हो ग़र कोई कशमकश मन में,
उलझे हों रिश्तों के तार जीवन में,
सूझे ना जब कोई हल मुश्किल में,
एक दिल ही तो है, जो हर उलझन सुलझा जाता है,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
23-06-2021
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें