करवाचौथ
करवाचौथ
अगले दिन करवाचौथ था। उसे अकेले ही बाज़ार करवाचौथ की खरीदारी के लिए जाना पड़ा क्योंकि शशांक की नज़र में ये करवाचौथ जैसे व्रत सिर्फ दिखावा है। आज बाजार में काफी भीड़ थी, और धूप भी तेज थी, उसे प्यास भी लग रही थी, तो पास ही एक रेस्टोरेंट चली गई, अभी पानी का पहला घूँट पिया ही था कि दूर टेबल से एक स्त्री पुरुष की बातों और उनके ठहाकों की आवाज़ कानों में पड़ी, वो ठिठक गई, आवाज़ शशांक की ही थी। जल्दी से उसने दुपट्टे से अपना चेहरा छिपा लिया, और उस टेबल की ओर देखने की कोशिश की। वो शशांक ही था, साथ में उसकी सहकर्मी आशा भी साथ थी । शशांक ने आशा का हाथ थाम रखा था और आशा के साथ बहुत सारे शॉपिंग बैग थे। वो आज के शॉपिंग के बारे में ही बात कर रहे थे। अब वो और वहाँ रुक ना सकी, पास रख पानी का ग्लास उठाया, एक ही सांस में सारा पानी पी लिया और तेजी से रेस्टोरेंट से निकल गई। अब तक राशि शशांक के शराब और जुए की आदत से परेशान थी। बच्चों के सामने भी शशांक शशि पर हाथ उठाने से नहीं चूकता। और अब आशा और शशांक को इस तरह साथ देखकर उसकी रही सही उम्मीद भी जाती रही। देर रात शशांक नशे में धुत्त घर लौटा, और बिना खाना खाए ही सो गया। राशि भी सो गई, रोज का यही रूटीन था।
अगले दिन करवाचौथ को सुबह से ही राशि जल्दी उठ कर तैयार हो गई। घर रोज के काम निपटाए, बच्चों को स्कूल भेजा। अब तक शशांक भी तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया, बस वो इतना ही कह पाई आज करवाचौथ है शाम को जल्दी आना। राशि की बात लगभग अनसुना करते हुए शशांक ऑफिस के लिए निकल गया।
राशि ने निर्जल व्रत रखा था। शाम को अच्छे से तैयार होकर राशि चाँद निकलने की प्रतीक्षा करने लगी। चाँद भी निकल आया। शशांक को ना आना था ये राशि को पता था तो बिना शशांक की प्रतीक्षा किये राशि ने अपनी पूजा शुरू की और प्रार्थना की है करवा माता इतने सालों से आपका व्रत कर रही हूँ, अब तो मुझे इस राक्षस से मुक्ति दो। पूजा पूर्ण कर राशि ने पूजा की थाली में रखा मिठाई का एक टुकड़ा मुँह में डाला और लोटे से जल का एक घूँट पीकर व्रत खोला। और चाँद को निहारने लगी। चाँद की रोशनी में उसका आत्मविश्वास से भरा चेहरा सौम्यता से दमक रहा था।
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
23-10-2021
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें