एहसास
एहसास
बचपन साथ बीता जिस तरह,
लड़ते झगड़ते लाड़ करते,
हर मुश्किल में साथ निभाते,
कभी एक दूसरे की गलती बताते,
कभी एक दूसरे की शैतानी छिपाते,
कभी माँ बाबा से शिकायत करते,
कभी रूठ जाते कभी मनाते,
आज मुझसे भाई तू यूँ रूठ गया,
छोटी छोटी बातें भी दिल से लगा लिया,
बचपन अब भी गया नहीं,
ये रूठने मनाने का खेल, अभी तक ख़त्म हुआ नहीं,
पराई हो गई अब तो मैं भी,
है बस कुछ तीज त्यौहारों का साथ,
रूठा जो रहा तू इस तरह,
तेरा भी दिल दुखेगा मेरी तरह,
कब तक बारिश में बैठ, छिपायेगा ये आँसू तेरे भी,
कि ये अंधेरे और ये बारिश भी,
ना छिपा सकेगी एहसास तेरे,
याद रखना कि हर परिस्थिति में साथ देगी ये बहन तेरी,
जिस तरह आज छाता लिए, तुझे बचा रही इस बारिश से,
हमेशा हर मुश्किल से तुझे
बचा लेगी ये बहन तेरी ,,,
✍️तोषी गुप्ता✍️
22-10-2021
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