जीतेगा कौन
जीतेगा कौन
दुनिया के इस भ्रम जाल में,
असल चेहरा,
ना किसी का नज़र आता,
कौन किसकी गरदन दबोचे,
कौन किसी का फ़न काट दे,
कौन किस पर अचानक टूट पड़े,
कौन किसी पर कब पलटवार कर दे,
कौन कब किसका शिकार कर दे,
या खुद शिकारी बन किसी की जान ले ले,
कभी डरकर पीछे हट जाते,
तो कभी किसी को दबोच लेते,
जब जिसका पलड़ा भारी होता,
खुद को विजेता समझता,
पर कौन जीता कौन हारा,
इसका फैसला तो वक़्त ही करता,
इंसानी चेहरों के भीतर छिपे,
जानवरों के चेहरे बहुतेरे,
हर कोई लड़ता,
अपनी जीत के लिए,
पर हार होती किसकी,
ये समझ ना पाते,
वो जीते या मानवता हारी,
इसका जवाब भी,
दे ना पाते,
✍️तोषी गुप्ता✍️
18-04-2022
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें