कशमकश ***
कशमकश
राह पर चलते ,
कभी ज़िन्दगी में,
ऐसा मोड़ भी आ जाता है,
दोराहे में खुद को,
खड़ा पाकर,
खुद पर तरस आता है,
ना चाहते हुए भी,
अनचाही राह को,
चुनने का वक़्त जब आता है,
मन को मजबूत कर,
उन राहों में अनमने ही बढ़ना हो जाता है,
कर के हालात से समझौता,
एक-एक पल जब बीतता है,
हर अगला कदम ,
कई कई बार थम कर बढ़ पाता है,
मग़र ज़िन्दगी कभी रुकती कहाँ है,
ज़िन्दगी के इस सफ़र में बस,
चलते ही जाना है,
बना कर ग़म को अपना,
खुशियों की चाबी ढूंढते जाना है,
ज़िन्दगी का हर एक पल,
दिल से जीते जाना है,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
08-04-2022
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