हारा वही ,जो लड़ा नहीं,
हारा वही , जो लड़ा नहीं
ज़िन्दगी हर क़दम पर इम्तेहान लेती है,
वक़्त के करवटों में अधूरे ख़्वाब समेटती है,
कठिनाइयों के दौर में भी उम्मीद जगाए रखती है,
मेहनत की कड़ी धूप पर सफलता की छांव भी बिखेरती है,
जीवन के इस सफ़र में हर मोड़ में एक नया फ़साना है,
कभी हारकर जीतना है, कभी जीतकर हारना है,
कैसा भी हो सफ़र मज़िल की राहों का,
हर स्थिति में बस बढ़ते ही जाना है,
मिल भी जाये राह में कभी असफलता,
ख़ुद की कमी दूर कर नये उत्साह से आगे बढ़ना है,
एक हौसला ही है जो हमें संबल देता है,
अन्धेरे कमरे में भी रोशनी की आस से टिमटिमाता है,
पतझड़ के मौसम में नव कोपल की आस रखता है,
हर हार से लेकर सीख जीतने की नयी उम्मीद जगाता है,
हर कदम पर मिले सफ़लता ये ज़रूरी तो नहीं,
मिली असफलता उसको ,जिसने कोशिश किया नहीं,
हर क़दम पर मिले जीत ये ज़रूरी तो नहीं,
मग़र हारा वही है, जो लड़ा नहीं,
✍️तोषी गुप्ता✍️
18-02-22
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें