यादें,,
यादें
यादों से ,
गहरा नाता है दिल का,
उन यादों में खो,
जी जाती हूँ,
एक बार फिर,
उन बीते लम्हों को,
जानती हूँ,
वो बीते लम्हे,
आज भी,
उतना ही दर्द देते हैं,
जितना कि,
तब देते थे,
जब उन्हें,
जी रही थी,
मानती हूँ,
भूल जाना ही अच्छा,
ऐसे दर्द देने वाली
यादों को,
पर क्या करूँ,
उन बीते लम्हों में
सुख-दुख का,
ऐसा ताना-बाना है कि,
हर तार उलझा हुआ है,
दूसरे कई तारों से,
याद कर खुशी का एक लम्हा,
मुस्कुरा देती हूँ फिर से,
दूसरे ही पल,
जुड़ जाता है ,
उस खुशी से जुड़ा,
दुःख का तार,
और मुस्कुराते हुए चेहरे पर,
सिकुड़ से जाते हैं होंठ,
अगले ही पल,
जुड़ जाता है दूसरा तार,
फिर से,
एक दूसरी खुशी से,
एक बार फिर उन लम्हों को जी,
खिल उठता है ये चेहरा,
और दिल को,
एक सुकून मिलता है,
कि यादों के झरोखों से,
से खुशी और ग़म,
दोनों ही अपनी झलक दिखाएंगे,
बस कोशिश हमें करनी है,
कि भूल जाएं वो पल,
जो हमें तकलीफ़ देते हैं,
और जी लें एक बार फिर,
उन खुशी के लम्हों को,
जिन्हें दिल,
बार-बार जीने की चाहत रखता है,
जो हमारे दिल को सुकून देता है,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
22/11/21
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