जाना पहचाना
जाना-पहचाना
कभी-कभी कोई शख़्स, जाना पहचाना सा लगता है,
मिल जाये अनजाने में आंखें,
फिर बार-बार आंखें मिलाने को जी करता है,
दिख जाए एक बार,
तो बार -बार देखने को जी करता है,
देखकर उसे सुकून सा मिलता है,
मिलकर उससे बरसों का, नाता सा लगता है,
बातें कर उससे दिल की हर बात,
बयां करने को दिल करता है,
बाँट कर सुख दुख ,
दिल हल्का करने को जी करता है,
बिना पूछे ही उसे,
सब बताने को दिल करता है,
कभी कभी कोई शख़्स,
जाना पहचाना सा लगता है,,
✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻
29-08-2021
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें