कुछ लोग
कुछ लोग
अपनी क्षमता बढ़ा न पाते लोग,
दूसरों की टाँग खींच गिराते ये लोग,
नहीं जानते ये खुद कितने नीचे गिर रहे ,
दूसरों की टाँग खींच ,
अपनी तरक्की भी रोक रहे,
एक दूजे के कंधों के सहारे सरल होती राह को,
खुद ही मुश्किल बना रहे,
ना खुद आगे बढ़ रहे,
ना औरों को आगे बढ़ने दे रहे,
नज़रंदाज़ कर जाते हैं ये लोग,
लोगों के इरादों की मजबूत सोच को,
लोगों की टांग खींच सोचते हैं,
रोक लेंगे, उनके हौसलों की उड़ान को,
पर काट कोई रोक न सका,
किसी पंछी की उड़ान को,
टांग खींच भी रोक न सका,
किसी की मंज़िल की पहुँच को,
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