" ये सब सिर्फ वीरान है "
आप में ही कलाकार,
मै एक फनकार,
पर दिल है उदास,
देखकर ये झगडे, दंगे और फसाद,
कोई किसी का अपना कंहा,
तुम अपने में, मैं अपने में जंहा,
मांगने से कुछ मिलता कंहा,
कुछ मिलता तो कुछ खोता जंहा,
देखो दुनिया की कैसी ये रीत हैं,
हर आदमी को किसी न किसी तरह,हर चीज़ से प्रीत है,
प्रकृति की सुन्दर वादियों से,
कवि की सुन्दर कल्पनाओं से,
हम सब जुड़े हैं एक रिश्तों से,
पर इनमें हैं कितनी दूरियां ,
कुछ मनचली , कुछ चंचली, कुछ खामोशियाँ,
इन नाजुक रिश्तों को प्यार की तलाश हैं,
कुछ मेरी , कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
इनमें अपनों को ढूंढा तो पाया,
" ये सब सिर्फ वीरान है "
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