" ये सब सिर्फ वीरान है "
आप में ही कलाकार,
मै एक फनकार,
पर दिल है उदास,
देखकर ये झगडे, दंगे और फसाद,
कोई किसी का अपना कंहा,
तुम अपने में, मैं अपने में जंहा,
मांगने से कुछ मिलता कंहा,
कुछ मिलता तो कुछ खोता जंहा,
देखो दुनिया की कैसी ये रीत हैं,
हर आदमी को किसी न किसी तरह,हर चीज़ से प्रीत है,
प्रकृति की सुन्दर वादियों से,
कवि की सुन्दर कल्पनाओं से,
हम सब जुड़े हैं एक रिश्तों से,
पर इनमें हैं कितनी दूरियां ,
कुछ मनचली , कुछ चंचली, कुछ खामोशियाँ,
इन नाजुक रिश्तों को प्यार की तलाश हैं,
कुछ मेरी , कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
इनमें अपनों को ढूंढा तो पाया,
" ये सब सिर्फ वीरान है "
26 टिप्पणियाँ:
"सामयिक कविता लिखी आपने विशेषकर ये पक्तियाँ तो शानदार हैं -"कुछ मनचली , कुछ चंचली, कुछ खामोशियाँ,
इन नाजुक रिश्तों को प्यार की तलाश हैं,
कुछ मेरी , कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
इनमें अपनों को ढूंढा तो पाया,
" ये सब सिर्फ वीरान है "-
कवि मन की सुंदर अभिव्यक्ति है यह.
सुंदर अभिव्यक्ति...
विचारणीय और कुछ सोचने को विवश करती रचना के लिए आपका धन्यवाद /
bahut sundar bhav bikhere hai...sach saamne rakha hai rishto ka...
bahut achchhi kavita toshi
वीरानगी का अपना अलग अंदाज है, क्योंकि चिंतन इस पल में ही मस्तिष्क में सक्रिय होता है.
इन नाजुक रिश्तों को प्यार की तलाश हैं,
कुछ मेरी , कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
acchi kavita hai.............badhai.............
खुद से शुरू करके दुनियां घूम जाइए, या दुनियां को खंगालते हुए खुद पर आ जाइए...आपको लगेगा कि दुनियां को चलाने का जो हार्डवेयर है, उसमें एक बहुत बड़ी गलती हो गयी है...एक आदमी की सबसे बड़ी चुनौती खुद को बचाए रखना ही बन गया है...चाहत सपने बनते जा रहे है(थे भी)जिसके पास धैर्य है, वो घुट रहा है और जिसका धैर्य चूका, वह दूसरो को घोट रहा है...फिर भी कहूंगा...इस दुनियां में जीते हुए खुशियों को निचोड़कर किसी भी कीमत पर जीना जरूरी है...
bahut hi badhiya rachna...
nice
vivj2000.blogspot.com
सुंदर अभिव्यक्ति...तोषी जी
bahut dino ke baad aapke blog par aaya hun... aate hi man prasann ho gaya... laajawaab kavita...
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धनयवाद ...
Bahut sunder rachna...badhai.
nice blog
ये सब सिर्फ़ विरान हैं बहुत ही सच्ची बात।
बहुत सुन्दर
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....
khoobsurat likha hai...
"कुछ मेरी, कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
इनमें अपनों को ढूंढा तो पाया,
"ये सब सिर्फ वीरान है"
यही सच है - प्रशंसनीय
bahut sundar rachana ,hardik badhai...
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...तोषी जी,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
इन नाजुक रिश्तों को प्यार की तलाश हैं,
कुछ मेरी , कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
इनमें अपनों को ढूंढा तो पाया,
" ये सब सिर्फ वीरान है "
तोशी जी छोटी छोटी सुन्दर रचनाएँ क्षणिकाएं गजब की बन पड़ी हैं मन मोहक मन का उद्गार सहज रूप में वर्णित बधाई हो
आइये अपने सुझाव व् समर्थन के साथ हिंदी में बढ़ावा दें
surendra kumar shukl bhramar5
बहुत सुंदर!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
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