मै प्रतिदान नहीं,अपने दिए का सम्मान चाहती हूँ
" वेलेंटाइन डे " पर ख़ास....
मै अनुभव करती हूँ ,
"तुमसे चाहना "
"तुम्हे चाहने' से
कितना भिन्न है ...
अच्छा हो ,
अगर तुम भी
अंतर कर सको
"मुझ से चाहने "
और "मुझे चाहने "
के बीच....
मै प्रतिदान नहीं चाहती,
केवल अपने दिए का
सम्मान चाहती हू....
संकलन
'युग्म" से.........
10 टिप्पणियाँ:
तुमसे चाहना "
"तुम्हे चाहने' से
कितना भिन्न है ...
लाजवाब अभिव्यक्ति शुभकामनायें
बहुत ही प्रेम और सम्मान भरी इच्छा ..रचना पसंद आई शुक्रिया
अच्छा संकलन है तोषी।बधाई हो।
shabdon ka her-fer sundar laga..
Jai Hind...
bahut hi sahi!
toshi mam, ek umda abhivyakti hai...
बहुत अच्छा मन को छू गयी आपकी रचना
मै प्रतिदान नहीं चाहती,
केवल अपने दिए का सम्मान चाहती हू....'
खूब्सूरत खयाल और भाव
सुन्दर रचना
badi pyari baat kahi aapne. meri shubhkanayen.
मै प्रतिदान नहीं चाहती,
केवल अपने दिए का सम्मान चाहती हू....'
I wish men to understand this much only.
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