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रविवार, 21 मार्च 2021

लौटा दो उसे उसका नीड़

*लौटा दो उसे उसका नीड़*




तिनका तिनका चुन कर लाती,


घास पत्तों से सीते जाती,


बड़ी मेहनत से फिर उसे,


नीड़ का रूप वो देती


फुदक फुदक कर फिर, 


डाल डाल पर जाती,


कभी इस डाली कभी उस डाली,


फुले ना वो समाती,





फिर एक दिन ऐसा हुआ,


डाली कर दी गई पेड़ से अलग,


नीड़ जो बनाया था उसने,


वो भी हो गई पेड़ से अलग,


फुदक फुदक कर अब बैठे कहाँ,


पानी से बचने अब जाए कहाँ,


डाली संग नीड़ भी हो गई,


पेड़ से अलग,


जैसे किसी ने कर दिया हो,


उससे ही उसको अलग,





रहती अब वो उदास सी,


गुमसुम सी, चुपचाप सी,


फुदकने को अब डाली नहीं,


रहने को अब नीड़ नहीं,


आसरा जो था,

वो छीन गया,


उसका दिल भी जैसे टूट गया,


डाली ही नहीं, पेड़ भी जाने को है,


उसे लगा जैसे, उसका वजूद ही जाने को है,




बचा लो पेड़ों को,


बचे रहने दो उसका नीड़,


सोचो भला, बिन घर,


कैसे रहोगे तुम रात दिन,


तिनका तिनका उसने भी जोड़ा है,


अपनी मेहनत से उसे सींचा है,


लौटा दो उसे उसका घर,


लौटा दो उसे उसका नीड़






✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻


20/03/2021

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