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apne vajood ki talash me.........
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गुरुवार, 25 दिसंबर 2008

collection - 1

अंधेरा चाहे जितना घना हो
पहाड़ चाहे जितना तना हो
एक लौ यदि लग जाए
एक कदम यदि उठ जाए
कम हो जाता है अंधेरे का असर
झुक जाती है पहाड़ की भी नज़र
अंधेरा तो रौशनी की रहनुमायी है
पहाड़ तो प्रेम की परछाईं है
सच तो यह है -
धाराओं के विपरीत
जो जितनी भाक्ति से
खड़ा होता है
उस आदमी का व्यक्तित्व
एक दिन उतना ही बड़ा होता है !

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