toshi

apne vajood ki talash me.........
Related Posts with Thumbnails

रविवार, 22 मई 2022

मेरी बगिया

 *मेरी बगिया*








अक़्सर अपनी ख्वाहिशों के समंदर में,


खो जाती हूँ,


मन के भीतर दबी,


इच्छाओं के चक्रव्यूह में,


खुद को उलझा पाती हूँ,


मन उड़ जाना चाहता है,


स्वच्छंद पंछी सा,


उन्मुक्त गगन की ,


ऊंचाइयों में,


जैसे,खो जाना चाहता हो,


आसमान की,


बुलंदियों में,


लेकिन, ख्वाहिशें तो,


अधूरी ही रह जाती हैं,


जैसे तितली,


मंडराती रहती,


मोह और नेह बरसाती,


रंग बिरंगे फूलों से भरी,


बगिया में,


वैसे ही मेरा मन बसता,


मेरे परिवार रूपी बगिया में,


मन कितना ही ख्वाहिशों की

उड़ान उड़े,


थम सा जाता है,


अपनों की ख्वाहिशों के सामने,


क्योंकि अपनों की,


पूरी होती ख्वाहिशों से महकती,


उनकी खुशियाँ,


मेरी बगिया की ,


रौनक बढ़ा देती,


उनकी ख्वाहिशों को पूरी होते,


अपनी बगिया महकते देख,


एक आस सी जागती है दिल में,


कि ख्वाहिशें तो पूरी भी होती हैं,


और एक बार फिर,


मैं अपनी ख्वाहिशों के समंदर में,


खो जाती हूँ,


इस उम्मीद के साथ,


कि महकते बगिया में,


एक खूबसूरत फूल,


मेरी ख्वाहिशों का भी होगा,





*✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻*


22-05-2022

Read more...

बुधवार, 20 अप्रैल 2022

ब्यूटीपार्लर

 ब्यूटी पार्लर




रोहन आज शिवानी को अपने मम्मी पापा से मिलवाने लेकर आया। आते ही शिवानी ने झुक कर रोहन के मम्मी पापा के पैर छुए और शालीनता से वहीं बैठ गई। शिवानी रोहन के ही साथ उसकी कम्पनी में जॉब करती थी। आज भी वह ऑफिस के फॉर्मल कपड़ों में ही थी और रोहन ने आज ही उसे ऐसे ही कपड़ों में अपने मम्मी पापा से मिलाने ज़िद करके उसे अपने घर ले आया। हल्का साँवला रंग उस पर करीने से पहने फॉर्मल जीन्स और कुर्ती में भी शिवानी सौम्य लग रही थी। रोहन का कहना था कि तुम जैसी हो वैसे ही मम्मी पापा तुम्हें स्वीकार करें तो अच्छा है। बड़ी ही शालीनता से उसने रोहन के मम्मी पापा के पूछे सवालों का जवाब दिया। जब रोहन की मम्मी किचन में गई तो शिवानी भी साथ चल दी। ड्रॉइंग रूम में बैठे रोहन और उसके पापा अभी तक चिंतित ही थे कि पता नहीं रोहन की माँ शिवानी को स्वीकार करेगी या नहीं। तभी रोहन की माँ और शिवानी गर्म पकौड़ियों और हलवा लेकर आ गए। सबने मिलकर पकौड़ियों और हलवे का आनंद लिया।  रोहन प्रश्नवाचक निगाहों से अब भी अपने माँ पापा को ही देख रहा था कि रोहन की माँ ने शगुन का टीका लगाते हुए शिवानी से कहा,"आंतरिक गुणों के ब्यूटीपार्लर से सजी शिवानी हमें बहुत पसंद है।" ये सुन कर रोहन और शिवानी एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा उठे। शिवानी रोहन की माँ का पैर छूने झुकी ही थी कि उन्होंने शिवानी को गले से लगा लिया।




✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻


19-04-2022

Read more...

मंगलवार, 19 अप्रैल 2022

जीतेगा कौन


 


जीतेगा कौन




दुनिया के इस भ्रम जाल में,


असल चेहरा,


ना किसी का नज़र आता,


कौन किसकी गरदन दबोचे,


कौन किसी का फ़न काट दे,


कौन किस पर अचानक टूट पड़े,


कौन किसी पर कब पलटवार कर दे,


कौन कब किसका शिकार कर दे,


या खुद शिकारी बन किसी की जान ले ले,


कभी डरकर पीछे हट जाते,


तो कभी किसी को दबोच लेते,


जब जिसका पलड़ा भारी होता,


खुद को विजेता समझता,


पर कौन जीता कौन हारा,


इसका फैसला तो वक़्त ही करता,


इंसानी चेहरों के भीतर छिपे,


जानवरों के चेहरे बहुतेरे,


हर कोई लड़ता,


अपनी जीत के लिए,


पर हार होती किसकी,


ये समझ ना पाते,


वो जीते या मानवता हारी,


इसका जवाब भी,


दे ना पाते, 





✍️तोषी गुप्ता✍️


18-04-2022

Read more...

बहाना

 बहाना



रहो लाख तुम व्यस्त ,


अपने कार्यों में,


जब मैं आवाज़ लगाऊं,


सुनो, ज़रा मेरा मोज़ा ढूंढ देना,


मिल नहीं रहा,


और हाँ,


रुमाल भी नहीं मिल रहा,


और एक ही पल में,


तुम दौड़ी चली आती,


कपड़ों के ढेर में,


सलीके से वहीं रखा, 


मोज़ा और रुमाल,


मेरे हाथों में थमा देती,


बहाना मेरा,


तुम्हें बुलाने का,


तुम भी ख़ूब समझती,


शायद मन ही मन,


मेरी इस आवाज़ का इंतज़ार भी करती,


तभी तो ,


मेरी एक आवाज़ पर ही,


सारा काम छोड़,


तुम मेरे सामने होती,


सब कुछ समझते हुए भी,


तुम्हारा,


ना समझने का ये अंदाज़,


दिल को भा जाता,


और नया बहाना बना,


तुम्हें बुलाने का,


मेरा इरादा,


और भी पक्का हो जाता,





✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻



18-04-2022

Read more...

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

कशमकश ***

 कशमकश




राह पर चलते ,


कभी ज़िन्दगी में,


ऐसा मोड़ भी आ जाता है,


दोराहे में खुद को,


खड़ा पाकर,


खुद पर तरस आता है,


ना चाहते हुए भी,


अनचाही राह को,


चुनने का वक़्त जब आता है,


मन को मजबूत कर,


उन राहों में अनमने ही बढ़ना हो जाता है,


कर के हालात से समझौता,


एक-एक पल जब बीतता है,


हर अगला कदम ,


कई कई बार थम कर बढ़ पाता है,


मग़र ज़िन्दगी कभी रुकती कहाँ है,


ज़िन्दगी के इस सफ़र में बस,


चलते ही जाना है,


बना कर ग़म को अपना,


खुशियों  की चाबी ढूंढते जाना है,


ज़िन्दगी का हर एक पल,


दिल से जीते जाना है,





✍🏻तोषी गुप्ता✍🏻


08-04-2022

Read more...

शुक्रवार, 25 मार्च 2022

अनन्त यात्रा

 




अनन्त यात्रा




क ख ग से शुरू करके ,


चल पड़ी एक अनंत यात्रा,


बढ़ते - बढ़ते जाना,


ये तो है बस अथाह यात्रा,


नित नयी सीख लेकर,


जब पहुँची किसी मंज़िल पर,


लगा कि यही तो वो मज़िल है,


जहाँ पहुँचना चाहा था कभी,


लेकिन ये क्या,


ऊपर देखा तो जाना,


ये तो अगली मंज़िल की,


पहली पायदान ही है,


आगे लंबा सफ़र अभी बाक़ी है,


फिर चल पड़ती,


उस नयी मंज़िल की,


राह पर,


नयी सीख लेकर,


नित नये ज्ञान लेकर,


ख़ुद का कद बढ़ाती,


नित नये ज्ञान के आभूषण से,


ख़ुद को सँवारती,


अब किसी मंज़िल पर पहुँच,


देख लेती हूँ ऊपर की ओर,


और समझ जाती हूँ,


कि मंज़िल ये नहीं,


ये तो सिर्फ राह में आया पड़ाव है,


मंज़िल तो अभी दूर है,


और इस राह पर अभी, 


आगे बढ़ते जाना है,


अपने ज्ञान का भंडार बढ़ा,


अभी उसे औरों तक,


पहुँचाना है,


अपने अनुभव से लोगों में,


ज्ञान भी बाँटते जाना है,


साथ ही निरंतर,


इस अनन्त अथाह यात्रा पर,


आगे बढ़ते जाना है,





✍️तोषी गुप्ता✍️


25-03-2022

Read more...

दिन में तारे नज़र आए

 दिन में तारे नज़र आए




सुनीता का मोबाइल बज रहा था। अपना चश्मा संभालते सुनीता ने मोबाइल उठाया। 




"हैलो, कौन?"




"जी, मैं  ***   से बोल रहा हूँ" (जिस कंपनी का सिम सुनीता जी उपयोग करती थी, उस कंपनी का नाम लेते हुए सामने वाले ने कहा ) "




"हाँ, कहिए।"




"जी, मैम, आपके सिम की एक्सपायरी हो चुकी है, इसका रिन्यूअल करवाना होगा, नहीं तो आपका सिम ब्लॉक हो जाएगा।"




सुनीता जी अब घबराते हुए बोली "जी,बंद हो गया तो मैं अपने बच्चों से बात कैसे करूंगी" 




"घबराइए नहीं, सिम रिन्यूअल करवा लीजिए।"




"लेकिन कैसे, मैं तो कहीं आती जाती भी नहीं"




"नहीं मैम, आपको कहीं जाने की ज़रूरत नहीं, ये आपके मोबाइल से ही रिन्यू हो जाएगा, बस जैसा मैं बताते जाऊं वैसा करते जाइये।"




"जी, बताइए"




फिर उस आदमी ने प्लेस्टोर से कोई एप्पलीकेशन डाउनलोड करवाया और मैसेज में आये ओटीपी देने के लिए कहा।




तभी अचानक सुनीता जी की बेटी का फोन कॉल वेटिंग में दिखाने लगा। 




सुनीता जी ने देखा और उस आदमी का कॉल होल्ड कर अपनी बेटी का कॉल कनेक्ट किया। 




"क्या हुआ माँ, आप नेट बैंकिंग क्यों यूज़ कर रहीं।" बेटी ने पूछा,




"नहीं बेटा, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, हाँ,,,, एक कॉल आया है,,,,," फिर सुनीता जी ने उस कॉल वाली पूरी घटना बता दी। 




"माँ, आप तुरंत उसका कॉल कट करो और उसका नम्बर ब्लॉक करो, और जिस नम्बर से कॉल आया है वो मुझे बताओ, मैं आपको थोड़ी देर में कॉल करती हूँ। 




दरअसल अपनी माँ का नेट बैंक अकाउंट उसने अपने नम्बर से कनेक्ट कर रखा था। और सुनीता जी के खाते से अमाउंट ट्रांसफर का ओटीपी उनकी बेटी के मोबाइल नंबर पर गया था। फिर उसने उस कॉल के खिलाफ एक शिकायत साइबर सेल में की। 




इधर सुनीता जी अपनी बेटी के कहे अनुसार उस आदमी के कॉल को कट कर उसे ब्लॉक कर चुकी थी। थोड़ी देर बाद उनकी बेटी का कॉल आया, तब उसने सुनीता जी को सारी बातें बताई कि किस तरह आज वो एक ठगी का शिकार होते होते बच गई। पूरी बात सुनकर सुनीता को दिन में तारे नज़र आने लगे। बेटी ने फिर ऐसे ठगी से बचाव के कई तरीके बताए, तब थोड़ा संभलते हुए सुनीता जी ने अपनी बेटी को आश्वासन दिया कि आगे वो पूरी सावधानी रखेगी और किसी के द्वारा बोले गए किसी भी ऐप को ना तो अपने मोबाइल में डाउनलोड करेगी, ना ही कोई ओटीपी किसी को देगी। आज उनकी बेटी की सूझ-बूझ से उनका बैंक एकाउंट सुरक्षित है यह सोचकर सुनीता जी ने राहत की सांस ली।






✍️तोषी गुप्ता✍️


24-03-2022

Read more...

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP