collection - 1
अंधेरा चाहे जितना घना हो
पहाड़ चाहे जितना तना हो
एक लौ यदि लग जाए
एक कदम यदि उठ जाए
कम हो जाता है अंधेरे का असर
झुक जाती है पहाड़ की भी नज़र
अंधेरा तो रौशनी की रहनुमायी है
पहाड़ तो प्रेम की परछाईं है
सच तो यह है -
धाराओं के विपरीत
जो जितनी भाक्ति से
खड़ा होता है
उस आदमी का व्यक्तित्व
एक दिन उतना ही बड़ा होता है !
6 टिप्पणियाँ:
These lines inspire me....
good thinking....
Hope to go through some more thoughts from ur creative world..
please visit;
http://paraavaani.blogspot.com.com
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jai guru dev bahoot he suner likha hay aap nay aap ko subhkamna
bahut savendanshil r prenadayi soch hai.....aisi soch lagatar banaye rakhe...badhai........
kya khub likha hai aapne...
kripya comments se word verification option hata de to suvidha hogi...
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