toshi

apne vajood ki talash me.........
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गुरुवार, 25 दिसंबर 2008

collection - 1

अंधेरा चाहे जितना घना हो
पहाड़ चाहे जितना तना हो
एक लौ यदि लग जाए
एक कदम यदि उठ जाए
कम हो जाता है अंधेरे का असर
झुक जाती है पहाड़ की भी नज़र
अंधेरा तो रौशनी की रहनुमायी है
पहाड़ तो प्रेम की परछाईं है
सच तो यह है -
धाराओं के विपरीत
जो जितनी भाक्ति से
खड़ा होता है
उस आदमी का व्यक्तित्व
एक दिन उतना ही बड़ा होता है !

6 टिप्पणियाँ:

Unknown 16 फ़रवरी 2009 को 3:16 pm बजे  

These lines inspire me....
good thinking....
Hope to go through some more thoughts from ur creative world..

बेनामी,  23 फ़रवरी 2009 को 9:50 pm बजे  

please visit;

http://paraavaani.blogspot.com.com

बेनामी,  23 फ़रवरी 2009 को 9:52 pm बजे  

please visit;

http://paraavaani.blogspot.com

photo 26 मार्च 2009 को 12:12 am बजे  

jai guru dev bahoot he suner likha hay aap nay aap ko subhkamna

ravi k.gurbaxani 9 अक्तूबर 2009 को 12:52 am बजे  

bahut savendanshil r prenadayi soch hai.....aisi soch lagatar banaye rakhe...badhai........

Crazy Codes 27 जनवरी 2010 को 11:37 am बजे  

kya khub likha hai aapne...

kripya comments se word verification option hata de to suvidha hogi...

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