toshi

apne vajood ki talash me.........
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शनिवार, 28 जुलाई 2018

सहती है डरती है सिसकती है नारी,
जब प्रताड़ित करती उसे दुनिया सारी,

फिर पहचान कर स्वयं की शक्ति ,
नयी ऊर्जा उसमें संचारित होती,

कुचल कर हर दमन का सर,
अब एक नयी कली प्रस्फुटित होती,

खुले आसमाँ में खुद अपनी तकदीर लिखती,
नयी स्फूर्ति नयी हिम्मत से एक नया इतिहास गढ़ती,

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