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गुरुवार, 5 अप्रैल 2018

"उन दिनों की वेदना"

"उन दिनों की वेदना"

  अक्सर रेणु रसोई में अपनी हमउम्र भाभी सीमा का हाथ बंटा दिया करती थी लेकिन आज शाम से ही वह सोफे पर लेटी हुई टीवी देख रही थी। सीमा ने अभी रेणु को आवाज़ लगाई ही थी कि अचानक सास ने लगभग डपटते हुए कहा, "आराम करने दो उसे , अभी बाल धोकर आई है।" नई बहु सीमा को भला अभी कहां मालूम था कि "उन दिनों" में उसके ससुराल में रसोई का काम नहीं करते। अभी कुछ दिनों पहले ही तो  उसकी शादी हुई थी। 5 दिनों तक सीमा ने अकेले ही रसोई संभाली। अभी हफ्ता ही बीता था , आज सुबह से सासूमाँ नाराज़ हैं। बार-बार घड़ी पर नज़र डाले हुए है, 8 बज गए अभी तक सीमा अपने कमरे से बाहर नहीं आई है, 8:30 बजे सीमा कमरे से बाहर आई ,सासूमाँ को कुछ बोल पाती उससे पहले ही सासूमाँ का गुस्सा फूट पड़ा " कल इतना क्या ज्यादा काम हो गया कि बहुरानी, कि आज देर से सोकर  उठी।"  सीमा ने थोड़ा झिझकते हुए बताया कि माँ अभी सुबह ही मैने बाल धोये हैं, रसोई में जाना नहीं था तो कमरे में ही आराम कर रही थी। सासूमाँ का गुस्सा अब सातवें आसमान पर था, बाल धोये हैं तो क्या हुआ , तुम रसोई में नहीं जाओगी तो रसोई का काम कौन करेगा? जल्दी जाकर नाश्ता बनाओ सब इंतज़ार कर रहे हैं, कहते हुए सासूमाँ पूजाघर में जाकर पूजा करने लगी। अवाक सी खड़ी सीमा ने "उन दिनों" की शारीरिक एवं मानसिक वेदना और मन में टीस लिए चुपचाप रसोई की ओर कदम बढ़ा दिए.....

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