toshi

apne vajood ki talash me.........
Related Posts with Thumbnails

गुरुवार, 6 मई 2010

" ये सब सिर्फ वीरान है "


आप में ही कलाकार,
मै एक फनकार,
पर दिल है उदास,
देखकर ये झगडे, दंगे और फसाद,
कोई किसी का अपना कंहा,
तुम अपने में, मैं  अपने में जंहा,
मांगने से कुछ मिलता कंहा,
कुछ मिलता तो कुछ खोता जंहा,
देखो दुनिया की कैसी ये रीत हैं,
हर आदमी को किसी न किसी तरह,हर चीज़ से प्रीत है,
प्रकृति की सुन्दर वादियों से,
कवि की सुन्दर कल्पनाओं से,
हम सब जुड़े हैं एक रिश्तों से,
पर इनमें हैं कितनी दूरियां ,
कुछ मनचली , कुछ चंचली, कुछ खामोशियाँ,
इन नाजुक रिश्तों को प्यार की तलाश हैं,
कुछ मेरी , कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
इनमें अपनों को ढूंढा तो पाया,
" ये सब सिर्फ वीरान है "

26 टिप्पणियाँ:

Amitraghat 6 मई 2010 को 1:54 pm बजे  

"सामयिक कविता लिखी आपने विशेषकर ये पक्तियाँ तो शानदार हैं -"कुछ मनचली , कुछ चंचली, कुछ खामोशियाँ,
इन नाजुक रिश्तों को प्यार की तलाश हैं,
कुछ मेरी , कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
इनमें अपनों को ढूंढा तो पाया,
" ये सब सिर्फ वीरान है "-

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून 6 मई 2010 को 2:07 pm बजे  

कवि मन की सुंदर अभिव्यक्ति है यह.

फ़िरदौस ख़ान 6 मई 2010 को 2:21 pm बजे  

सुंदर अभिव्यक्ति...

honesty project democracy 6 मई 2010 को 4:17 pm बजे  

विचारणीय और कुछ सोचने को विवश करती रचना के लिए आपका धन्यवाद /

दिलीप 6 मई 2010 को 9:57 pm बजे  

bahut sundar bhav bikhere hai...sach saamne rakha hai rishto ka...

36solutions 7 मई 2010 को 8:49 pm बजे  

वीरानगी का अपना अलग अंदाज है, क्‍योंकि चिंतन इस पल में ही मस्तिष्‍क में सक्रिय होता है.

drsatyajitsahu.blogspot.in 18 मई 2010 को 3:26 pm बजे  

इन नाजुक रिश्तों को प्यार की तलाश हैं,
कुछ मेरी , कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
acchi kavita hai.............badhai.............

अजय यादव 25 मई 2010 को 11:12 am बजे  

खुद से शुरू करके दुनियां घूम जाइए, या दुनियां को खंगालते हुए खुद पर आ जाइए...आपको लगेगा कि दुनियां को चलाने का जो हार्डवेयर है, उसमें एक बहुत बड़ी गलती हो गयी है...एक आदमी की सबसे बड़ी चुनौती खुद को बचाए रखना ही बन गया है...चाहत सपने बनते जा रहे है(थे भी)जिसके पास धैर्य है, वो घुट रहा है और जिसका धैर्य चूका, वह दूसरो को घोट रहा है...फिर भी कहूंगा...इस दुनियां में जीते हुए खुशियों को निचोड़कर किसी भी कीमत पर जीना जरूरी है...

ajay saxena 16 जून 2010 को 4:35 pm बजे  

सुंदर अभिव्यक्ति...तोषी जी

Crazy Codes 24 जून 2010 को 8:12 pm बजे  

bahut dino ke baad aapke blog par aaya hun... aate hi man prasann ho gaya... laajawaab kavita...

अपनीवाणी 7 अगस्त 2010 को 6:12 pm बजे  

अब आपके बीच आ चूका है ब्लॉग जगत का नया अवतार www.apnivani.com
आप अपना एकाउंट बना कर अपने ब्लॉग, फोटो, विडियो, ऑडियो, टिप्पड़ी लोगो के बीच शेयर कर सकते हैं !
इसके साथ ही www.apnivani.com पहली हिंदी कम्युनिटी वेबसाइट है| जन्हा आपको प्रोफाइल बनाने की सारी सुविधाएँ मिलेंगी!

धनयवाद ...

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι 19 नवंबर 2010 को 10:42 pm बजे  

ये सब सिर्फ़ विरान हैं बहुत ही सच्ची बात।

शिवा 8 दिसंबर 2010 को 8:41 am बजे  

आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....

बेनामी,  31 जनवरी 2011 को 5:22 pm बजे  

"कुछ मेरी, कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
इनमें अपनों को ढूंढा तो पाया,
"ये सब सिर्फ वीरान है"

यही सच है - प्रशंसनीय

Dinesh pareek 17 मार्च 2011 को 9:41 pm बजे  

आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html

Vivek Jain 7 अप्रैल 2011 को 6:13 pm बजे  

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...तोषी जी,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Surendra shukla" Bhramar"5 7 अप्रैल 2011 को 11:23 pm बजे  

इन नाजुक रिश्तों को प्यार की तलाश हैं,
कुछ मेरी , कुछ आपकी लम्बी दास्ताँ है,
इनमें अपनों को ढूंढा तो पाया,
" ये सब सिर्फ वीरान है "
तोशी जी छोटी छोटी सुन्दर रचनाएँ क्षणिकाएं गजब की बन पड़ी हैं मन मोहक मन का उद्गार सहज रूप में वर्णित बधाई हो
आइये अपने सुझाव व् समर्थन के साथ हिंदी में बढ़ावा दें
surendra kumar shukl bhramar5

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP